38 पर नरीकार आपणी इच्छा चे अनुसार ओनु शरीर ङिये हर-हेक बीजा नु ओचे आपणे खास शरीर,
तम्ही ओ शरीरा नु जको अंकुरीत हुवणे नु छै, ना राहवा, तम्ही तां सेर्फ बीज राहवा चाहे कणकी चे जा कुई नेरे हो।
सब शरीर हेक जिसड़े कोनी। इन्साना चे शरीर होर छै, ढौरा चे शरीर होर छै, पखीयां चे शरीर होर छै, माछलीया चे शरीर होर छै।
ऐवास्ते ना तां राहवणे आला कोच्छ छै, ते ना पाणी लावणे आला, पर सेर्फ नरीकार जको बधावणे आला छै।