जिंवे ङिहां मां अम्ही रिहुं वी, यूंही अम्हानु सिधी चाल चलणी चाही छै, ना कि लीलाक्रीड़ा, ते पियक्कड़पन, ना व्यभिचार, ते लोचपण मां, ते ना ही झग़ड़े ते ईर्ष्या मां लाग़ले रिहा।
कांकि मैं अगर शरीर चे भाव लारे तम्हा कनु दूर छै, तां वी आत्मिक रीति लारे तम्चे लारे छै, ते तम्चे विधि चे अनुसार आचरण ते तम्चा विश्वास जको मसीह मां छै मजबूत ङेखती कर खौश हुवे।