35 ते अगर कोच्छ सिखणे चाहवी, तां घरे आपणे आपणे मुणसा कनु पूछो, कांकि असतरी नु कलीसिया मां बाता करनीया शर्मलायक बात छै।
का सुभाविक रीति लारे तम्ही ना जाणा, कि अगर मर्द लम्बे माल राखो तां ओचे वास्ते अपमान ची बात छै?
अगर कुई असतरी ओढ़ण ना ओढ़ो तां वा आपणे माल वी कतरवाती गिहो। अगर माल कतरवाणे जा रोङी हुवणे लाज़ ची बात छै तां ओढ़ण ओढ़ो।
असतरीया कलीसिया ची सभा मां चोप रिहो, कांकि वानु बाता करने ची इजाजत कोनी, पर अधीन रेहणे चाही छै जिंवे व्यवस्था मां लिखले वी पले।
का नरीकारा चा वचन तम्चे महु निकड़ला? जा सेर्फ तम्चे तक ही पुज़ला?
कांकि वांचे लुकले आले कामा ची चर्चा करनी वी बेइज्जती चे लायक छै,
यूंही हे घराआले, तम्ही वी समझदारी लारे घराआलीया लारे जीवन बितावा। ते असतरीया नु निर्बल चीज जाणती कर वांचा कद्दर करा, हा समझती कर कि अम्ही ङोनी जीवन चे वरदान चे वारिस छिऊं, जाये कनु तम्चीया प्राथना रुकती ना जाओ।