मैं ही वा जीती रोटी छै जको स्वर्ग़ा कनु उतरली। अगर ये रोटी नु कुई खाये ते ऊं सदा जीते रिही। ते वा रोटी जानु मैं ङिही माये शरीर छै, ऐची वजह कनु संसार जीता रिही।”
तां सोचती गिहा कि ओ कितने भारी ङण्ड चा भाग़ी बणी, जेह्णे नरीकारा चे पूता चा अनादर करला ते वाचा चे लुहींया नु जाये जरिये ओ पवित्र ठहराला गेलता, अपवित्र जाणले ते अनुग्रह ची आत्मा चा अपमान करला।