13 तम्ही खौद्द विचार करा। का बिना ठोङ ढकले असतरी नु नरीकारा कनु प्राथना करने शोभा ङिये?
“तम्ही आप ही फैंसला कां ना करती गिहा कि वाजिब का छै?
मुँह ङेखती कर न्यां ना करा, पर ठीक-ठीक न्यां करा।”
मैं तम्हानु ब़ुध्दिमान जाणती कर तम्हानु किहे पला, जको मैं किहे पला ओनु तम्ही परखा।
का सुभाविक रीति लारे तम्ही ना जाणा, कि अगर मर्द लम्बे माल राखो तां ओचे वास्ते अपमान ची बात छै?
असतरीया कलीसिया ची सभा मां चोप रिहो, कांकि वानु बाता करने ची इजाजत कोनी, पर अधीन रेहणे चाही छै जिंवे व्यवस्था मां लिखले वी पले।