7 ना ही तम्ही मूर्ति पुज़णे आले बणा जिंवे कि वांचे महु कितने बणती गेले हुते, जिंवे पवित्रशास्त्र मां लिखले आले छै, “वे ब़ेहले तां खाणे-पीणे वास्ते ते उठले तां मस्तीती गेले।”
पर वानु लिखती भेज़ा कि, मूर्तिया उपर चढ़ले आले खाणे तम्हानु नी खाणे चाही छै। ते आपणे आप नु व्यभिचार कनु बचाली राखा। गिच्ची घुटले आली मवेशी चा मांस खाणे कनु दूर रिहो ते वांचे लुहीं ना पीयो।
माये केहणे ईं छै कि तम्चे इसड़े कुई विश्वासीया लारे जको व्यभिचारी, जा लोभी, जा मूर्तिपूजक, जा गाली काढ़णे आले, जा पियक्कड़, जा ठग़्ग़ हो तां ओचे लारे संगति ना करजा, बल्कि इसड़े इन्साना लारे खाणे वी ना खाजा।
का तम्ही ना जाणा, कि अन्यायी लौक नरीकारा चे राज़ चे वारिस नी हुवे? धोक्का ना खावा, ना वेश्यागामी, ना मूर्तिपूजक, ना परअसतरी गामी, ना लुच्चे, ना पुरुषगामी,