नरीकारा ने आपणे ज्ञान मां ईं असम्भव करले कि लौक आपणे ज्ञान चे अनुसार नरीकारा नु जाणो, पर नरीकारा नु ईं आच्छे लाग़ले कि, ऐ प्रचार चे जरिये जानु लौक मूर्खता समझे, विश्वास करने आला नु उद्धार ङिये।
पर शरीरिक इन्सान नरीकारा ची आत्मा ची बाता स्वीकार ना करी, कांकि वे ओची नजरी मां बेवकूफी चा बाता छी, ते ना ओ वानु जाण सग़े कांकि वांची परख आत्मिक रीति लारे हुवे।