बाके हात मैं बाको सूपो है, जोसे बौ गेंहूँ छान कै भूसा से अलग करथै अपने खेत कै साफ करकै पूरो अनाज कै इखट्टो कर कुठियन मैं भरैगो, पर भुसा कै ऐसी आगी मैं डार देगो जो कभी बुझन से न बुझैगी।”
अगर तेरो हाथ तेरे बिस्वास खोन को बजह बनै तौ बाकै काट दे। टुन्डा हुईकै जिंदगी बितानो तेरे ताहीं अच्छो है कि दुई हाथ होत भइ तू नरक की आगी मैं डारो जाए जो कहुए बुतन की नाय है।
अगर तेरो पाँव तेरे बिस्वास कै खोन को बजह बनै तौ बाकै काट दे। लंगड़ा हुईकै जिंदगी बितानो तेरे ताहीं अच्छो है कहूँ दुई पाँव होन के बाबजूद भी तू नरक की आगी मैं खेंक दौ जाबै,
परमेस्वर को दाखमधु, बाके जलजलाहट की दाखमधु, जोकै बौ अपने गुस्सा के प्यालो मैं पूरी ताकत से उड़ेल दई है, पीमंगे! जो ऐसो करंगे, बे पवित्र स्वर्गदूत और मेम्ना के सामने आगी की गंधक मैं तड़पंगे।
फिर सैतान कै, जो उन्हैं धोका दई रहैं, आगी और गंधक की बौ झील मैं डार दौ गौ, जहाँ बौ जानवर और झूठे भविस्यवक्ता पहलिये से फेंको जाए चुको रहैं; और बे रात-दिन हमेसा तड़पत रहेंगे।
लेकिन डरपोक, अविस्वासी, लुटेरा, हत्यारे, जादू टोना करन बारे, मूर्ति की पूजा करन बारे, और सब झूटेन के ताहीं जघा आगी और गंधक से जलत भइ झील है, जौ दूसरी मौत है।”