जो बीज कटीली झाड़िन मैं गिरे रहैं, बाको मतलब जौ है बौ आदमी जो सुभ संदेस सुनथै तौ युग की चिंताए और धन को लोभ सुभ संदेस कै दबाय देथै, और बौ आदमी फल न लाय पाथै।
जो बीज कांटे की झाड़ी मैं गिरो, जे बे हैं, जो सुनथैं, पर अग्गु चलकै चिंता और जायदाद और रोज मर्रा की जिंदगी के सुख-दुख मैं फस जाथैं, और उनको फल कहु नाय पकथै।