59 जामैं भी उनकी गभाई एक सी नाय बैठी।
59 पर जामे फिर उनको गवाही एकए हानी नाए रहए।
“हम जासे जौ बात कहेत सुने हैं, ‘कि मैं अपने हाथ के बनाए भै मंदिर कै उजाड़ दुंगो और तिसरे दिन मैं दुसरो बनाए दुंगो, बौ इंसानन के हाथ को बनो भौ नाय होगो।’”
तौ बड़ो पुजारी सबन के बीच मैं ठाड़कै ईसु से पूँछी; जे सब जनी जो तेरे ऊपर दोस लगाए रै हैं “तैं उनकै कोई जबाब काहे ना देथै?”