तुम कोई ऐसी परिक्छा मैं नाय पड़े, जो इंसान के झेलन से बहार है: और परमेस्वर भरोसे बारो है: बौ तुमकै सामर्थ्य से बहार परिक्छा मैं नाय पड़न देगो, बल्कि परिक्छा के संग बहार भी निकारैगो; कि तुम सकार सकौ।
नाय तौ अगर तैं आत्मा से ही धन्यवाद करैगो, तौ फिर बगैर आसीस को आदमी तेरे धन्यवाद मैं “आमीन” कैसे कहेगो? काहैकि बौ तौ जानतै नाय है कि सच मैं तैं का कहरौ है।
जाके बाद मैं स्वर्ग मैं लोगन की एक बड़ा बड़ी भीड़ को गरजन की अबाज के तराहनी सुनो, जो कहत रहै, “परमेस्वर की स्तुति करौ! उद्धार, महिमा, और सामर्थ्य हमरे परमेस्वर के हैं!
कोई भी चीज से मत डराबौ जो तुम भुगतन बारे हौ। सुनौ! तुम मैं से कितने कै कैदखाना मैं डारकै सैतान तुमरी परिक्छा लेगो, और तुमरी परेसानी दस दिन तक बनी रैहंगी। मेरे प्रति बिस्वास योग्य रहबौ, भले ही जाको मतलब मौत ही क्यों ना होबै, और मैं तुमकै अपनी जीत के इनाम के रूप मैं जिंदगी दुंगो।”
और मैं स्वर्ग मैं, और पृथ्वी मैं, और पृथ्वी के नीचे की दुनिया मैं, और समुंदर के सब जिंदे जीव कै जौ गात भइ सुनो: “जो सिंहासन मैं बैठो है, बाकी, और मेम्ना कि स्तुति, और आदर, और महिमा, और राज्य, हमेसा रहबै!”