13 और ईसु तोड़ निकारी, “देखौ, काहैकि तुम ना बौ दिन कै जानथौ, ना बौ समय कै।”
13 जहेमारे जगे रहाबओ, काहेकी मए घुमके आन बारो दिन, और बो समय तुम पता नाए पएहओ।
तौ बौ सेवक को मालिक ऐसे दिन आगो, जब बौ बाकै असियात नाय होगो, और ऐसी घड़ी कि जोकै बौ ना जानत होगो,
बौ जबाब दई, कि मैं तुमसे सच कहथौं, मैं तुमकै नाय जानथौं।”
चहाचीते रहाबौ और हमेसा प्रार्थना करत रहबौ कि तुम जे सब आनबारी घटनन से सई सलामत निकरन, और इंसान के लौड़ा के सामने ठाड़न की सक्ति मिलै।”
देखौ, और याद करौ कि मैं तीन साल तक आँसु बहाए-बहाएकै, रात-दिन हर एक कै सिक्छा देनो नाय छोड़ो।
जगते रहबौ, बिस्वास मैं मजबूत रहबौ, हिम्मती बनौ, बलवन्त होबौ।
इसलै हम दुसरेन के हानी सोत ना रहमैं, हमैं जगते और सांत होनो चाहिए।
पर तुमकै हर हाल मैं खुदकै काबु मैं रखनो चाहिए, दुख सहबौ, सुसमाचार प्रचारक को काम करौ और अपनी पूरी जिम्मेदारी परमेस्वर के सेवक के रूप मैं निभाबौ।
सब चीजन को अंत झोने है। प्रार्थना करन मैं माहिर होन के ताहीं तुमकै खुदकै सादने और चौकन्नो होनो चाहिए।
चौकन्ने रैहबौ, चहाचीते रहबौ! तुमरो दुस्मन, सैतान घूमत भौ सेरा के जैसी इतै-उतै घूमत रहथै, कोई कै खाए जान ताहीं ढूँड़न मैं लगो रैहथै।
“सुनौ! मैं चुट्टा के तराहनी आए रहो हौं! धन्य है बौ जो जगत रहथै, और अपने लत्तन की रखबारी करथै, ताकी बौ नंगो नाय चलै और सब लोगन के सामने बाकी बेजती ना होबै!”