जब घर को मालिक उठकै फाटक बंद कर देगो, और तुम बाहर ठाड़कै फाटक खटखटाए कै कहगे, ‘हमरे ताहीं फाटक खोल दे, प्रभु!’ बौ तुमकै जबाब देगो, ‘मोकै न पता है कि तुम कहाँ से आथौ!’
लेकिन अब जो तुम परमेस्वर कै जान लै हौ बल्किन परमेस्वर तुमकै पहचानी, तौ बे कमजोर और निठल्लू सिक्छा की बातन के घाँईं काहे फिरथौ, जिनके दुबारा तुम गुलाम होनो चाहथौ?
लेकिन परमेस्वर जो ठोस बुनियाद डारी है बाकै हीलाओ नाय जाए सकथै; और बाके ऊपर जे सब्द लिखे गै हैं: “प्रभु जानथै कि जो बाको नाओं लेथैं, उनकै अधर्म के कामन से दूर रहनो चाहिए।”