“तुम चहाचीते रहबौ! अपने आपकै भौत जाधा दावत और पीन के सामान संग और जौ दुनिया की बात कै मन मैं चिंता के संग कब्जा मत करन दियौ, या बौ दिन अनकाचीति तुमकै पकड़ लेबै।
समय कै देखभार कै ऐसियै करौ, तभई कि अब तुमरे ताहीं नींद से जगन की बेरा आए गई है; काहैकि जो घड़ी हम बिस्वास करे रहैं, बौ समय की सोच से अब आपन को उद्धार झोने है।
“सुनौ! मैं चुट्टा के तराहनी आए रहो हौं! धन्य है बौ जो जगत रहथै, और अपने लत्तन की रखबारी करथै, ताकी बौ नंगो नाय चलै और सब लोगन के सामने बाकी बेजती ना होबै!”