ईसु हुँआँ से निकरकै रहामैं जातै रहै, तौ एक आदमी भाजत भौ बाके झोने आओ, और बाके अग्गु घूँटे टेक कै बासे पूँछी, “अच्छो गुरुजी, अनंत जिंदगी पान ताहीं मैं का करौं?”
लेकिन जब उनके संग हमरो समय खतम हुई गौ, तौ हम हूँना से अपनी रहामैं नेंग दै। और बे सब बईंय्यरन और बालकन समेत, हमैं नगर के दुआरे तक छोड़न आए और हम समुंदर टिकारे घुपटियाय कै प्रार्थना करे।