45 “फिर स्वर्ग को राज्य एक ब्यापारी के हानी है जो अच्छे मोती कै ढूँड़त रहै।
45 “फिर स्वर्गको राज्य असल मोती ढुँणन बारो एक जनै व्यापारी जैसो हए।
ईसु उनकै एक और कहानी सुनाई, “स्वर्ग को राज्य बौ इंसान के हानी है जो अपने खेत मैं अच्छो बीज बोई।
जब बाकै एक कीमती मोती मिलो तौ बौ जाएकै अपनो सब कछु बेंच डारी और बौ मोती कै खरीद लई।”
अगर इंसान पूरी दुनिया कै पाय लियै, और अपनी ज्यान की हानी उठाबै, तौ बाकै का फायदा? या इंसान अपनी ज्यान पान के बदले मैं का देगो?
पर बुलाए भै हितुआ कोई ध्यान नाय दईं और अपने काम कै चले गै: कोई अपने खेत मैं गौ, कोई अपने ब्यापार कै,
“पवित्र चीज कुत्तन कै मत दियौ, और अपने मोती सोरा के अग्गु मत डारौ; ऐसो ना होबै कि बे उनकै टाँग तरे रौंद डारैं और कुत्ता तुम्हैं पलटकर फाड़ डारैं।”