30 बे कहमंगे, ‘जौ आदमी बनान तौ लगो, लेकिन बनाये ना पाई।’
30 “जा आदमी बनान त लागो पर पुरा नाए करपाइ।”
मेंहें आओ, बाढ़ आई, आँधी चली बौ घर से टक्कर खाई और बौ बुरी तरह से ढह गौ!”
कहीं ऐसो ना होबै, कि नीव चट्टान के ऊपर डारकै तैयार नाय कर सकै, तौ सब देखन बारे जो भौ है बाको मजाक बनांगे।
या कौन ऐसो राजा है, कि दुसरे से युद्ध करन कै जात होबै, और अग्गु बैठकै बिचार नाय कर लेबै कि जो बीस हजार आदमी लैकै मेरे घाँईं चढ़ो आथै, का मैं दस हजार आदमी लैकै बाको सामना कर सकथौं, कि नाय?
मेरो धर्मी जन बिस्वास से जिंदो रैहगो, और अगर बौ पिच्छू हट जाबै तौ मेरो मन बासे खुस नाय होगो।”
हमारी भौत इच्छा है कि तुम मैं से हर एक आखरी ले बढ़ावा से रहियो, ताकी जिन बातन की तुम आसा करथौ बे पूरी होमैं।
चहाचीते रहबौ, काहैकि जो तुम मेहनत से कमाए हौ बौ हराए ना जाबै, लेकिन ऐसो होबै कि तुमरो तोफा पूरी तरह से मिलै।