35 पक्को करैं, कि कहूँ जो उजियारे तुमरे मैं है बौ अंधियारे मैं ना हुई जाबै।
35 जहेमारे होसियार रहओ, तुमरमे जो उजियारो हए, बो कभी फिर अंधियारो नाए होबए।
“सरीर को दिया आँखी है। अगर तेरी आँखी ठीक है तौ तेरो पूरो सरीर उजियारो मैं रैहगो;
तुमरी सरीर को दिया तुमरी आँखी है, इसलै जब तुमरी आँखी अच्छी है, तौ तुमरो पूरो सरीर उजिते से भरो होथै; लेकिन जब तुमरी आँखी अच्छी ना होंगी, तौ तुमरो पूरो सरीर अंधियारे मैं होगो।
अगर तुमरो पूरो सरीर उजिते से भरो है, और तेरो कोई भी हिस्सा अंधियारे मैं ना होबै, तौ सब जघा ऐसो उजितो होगो, जैसे एक दिया अपनी चमक से तोकै उजितो देथै।”
बे अपने आपकै अकल बारे जताथैं, पर बे मूर्ख हैं;
लेकिन जिनके झोने जे गुन नाय हैं बे इत्ते अंधरा हैं कि बे देख नाय सकथैं और भूल गै हैं कि उन्हैं उनके पिछले पापन से सुद्ध करो गौ है।
बे घमंड और पागलन हानी बयान देथैं, और लुचपन जैसी चाल-चलन के जरिया बे लोगन कै सरीर की अभिलासा मैं फसाए लेथैं जो गलत लोगन की संगती से छुटकै निकर आए हैं।
तुम कहथौ, ‘मैं सेठ हौं; मेरे झोने बौ सब है जो मोए चाहिए।’ लेकिन तुम नाय जानथौ कि तुम कित्ते दुखी और अभागे हौ! तुम गरीब, नंगे और अंधरा हौ।