ईसु कही, “दुसरी कहानी कै सुनौ। एक बार एक जमीनदार रहै जो एक अंगूर की बारी लगाई, बाके चारौ तरफ एक बेहड़ा लगाई, फिर दाखरस निकारन ताहीं एक गड्डा खोदी और रखबारी ताहीं एक मिनार बनाईं, और कुछ किसानन कै किराय मैं दैकै सफर कै चलो गौ।
फिर ईसु कहानी मैं उनसे बात करन लागो: “एक आदमी अंगूर की बारी लगाई, और बाके चारौ तरफ बेहड़ा लगाई, और रस के ताहीं गड्डा खोदी, और गुम्मट बनाई। और कमईंयन कै बाको ठेका दैकै दुसरे देस कै चलो गौ।
खेती करी भइ जैतून के पेंड़ की एकाद हँगईय्या कै तोड़ दौ गौ है, और बन के जैतून के जड़ की एक हँगईय्या जामैं मिल गई है। तुम गैर यहूदि जंगली जैतून के पेंड़ के हानी हैं, और अब तुम यहूदियन के भागीदार भै।
हालाकि, अब मैं तुमकै जो आग्या लिखरौ हौं बौ नया है, काहैकि जाकी सच्चाई मसीह मैं और तुम्हऊँ मैं देखी जाथै। अंधियारो दूर हुई रौ है, और सच्ची को उजीतो पहलिये से चमक रौ है।