ईसु मुड़ कै पतरस से कही, “सैतान, मेरे अग्गु से दूर हुई जा! तैं मेरे ताहीं ठोकर को बजह है; काहैकि तैं परमेस्वर के तराहनी नाय, इंसानन के तराहनी सोचरौ है।”
और बौ बे सबन से कहत गौ, “देखौ और हर तरहन के लालच से खुद के बचाबौ; काहैकि तुमरी सच्ची जिंदगी बे चीजन से ना बनथै, जो तुमरी खुद कि हैं, चाहे तुम कितने सेठ क्यों ना होबौ।”