जब ईसु मंदिर मैं जाएकै उपदेस देत रहै; तौ प्रमुख पुजारी और यहूदि बड़े-बूढ़े के पास आए कै पूँछीं, “ऐसी बात तू कोनछे अधिकार से करथै, और जौ अधिकार तोकै कौन दौ है?”
काहैकि जो बचन तैं मोकै दौ, मैं उनकै उनके झोने पुगाए दौ; और बे उनकै अपनाईं, और सच्ची-सच्ची जान लईं हैं कि मैं तेरी तरफ से आओ हौं, और बिस्वास कर लईं हैं कि तहीं मोकै भेजो है।”
ईसु उनकै जबाब दई, “मैं जौ दुनिया से खुलकै बात करो हौं; मैं सभाघरन मैं और मंदिर मैं, जहाँ पर सब यहूदि जुराए करत रहैं, हमेसा उपदेस दौ और लुके छुपे मैं कछु नाय कहो।
“मेरे साथी इस्राएलियौ, अब्राहम के बंसज और हिंयाँ के सब गैर यहूदि, जो परमेस्वर की आराधना को मान रखथैं: जौ हमरे ताहीं है कि जौ उद्धार को संदेस भेजो गौ है!