सबै आदमी अपने आप सासकीय अधिकारियन के सुपर्त रहमैं, काहैकि कोई को अधिकार ऐसो हईये नाय जो परमेस्वर के घाँईं से ना होबै; और जो अधिकार हैं, बे परमेस्वर के बनाये भै हैं।
जे बे लोगन की आत्मा रहैं जो परमेस्वर की आग्यन कै मन से यकीन नाय करीं रहैं। जब बौ बे दिनन धीरज से असियात रहैं जब नूह अपने जहाज कै बनात रहै। जहाज मैं कुछ लोग, सबै मैं आठ जनी, पानी से बच गै रहैं,