18 भयानक आँधी चलतै रइ, तभई दुसरे दिन बे कुछ समान जो जाधे रहै फेंकन लागे,
18 बो डरौनी आँधी चल्तए रहो और दुस्रे दिन हम पानीजहाजमे भए मालसमान फेँकनलागे।
अगर इंसान पूरी दुनिया कै पाय लियै, और अपनी ज्यान की हानी उठाबै, तौ बाकै का फायदा? या इंसान अपनी ज्यान पान के बदले मैं का देगो?
काहैकि ज्यान खानु से, और सरीर लत्तन से जाधे जरूरी है।
मालिक बौ दुस्ट अधर्मी भंडारी की चतुराई भरी बात सुनकै बाकी बड़ाँईं करी; काहैकि जौ युग के लोग जोती से जुड़ी लोगन की तुलना मैं भौत चालाँक हैं।”
और तीसरे दिन कै बे जहाज को समान भी फेंक दईं।
जब बे खानु खाएकै तृप्त भै, तौ गेंहूँ कै समुंदर मैं फेंक कै जहाज कै हलको करन लगे।
जहाँ ले हमारी बात है, हमरे आस-पास गभा की इतनी बड़ी भीड़ है, कि हम रस्ता मैं आनबारी सबै चीजन से छुटकारा पामैं, और बौ पाप से छुटकारा पामैं जो हमकै इतनी कसकै पकड़थै, और हमकै बिस्वास के संग भाजनो चाहिए।