जौ बजह से अगर खानु मेरे भईय्या और बहेनिया कै ठोकर खबाबै, तौ मैं कहु कैसियौ रीति से सिकार नाय खांगो, ऐसो ना होबै कि मैं अपने भईय्या के ताहीं ठोकर को बजह बनौ।
आखरी मैं, मेरे भईय्यौ, अपने दिमाक कै बे चीजन से भरौ, जो धार्मिक हैं, अच्छी हैं और जो बड़ाँईं के काबिल है: ऐसी चीजैं जो सच्ची, महान, सई, सुद्ध, प्यारी और आदर के काबिल हैं।
और दुसरेन कै आगी मैं से झपट्टा मारकै बचाबौ, और औरन के ऊपर डराय-डराय कै दया करौ, लेकिन उनके खुद के पाप से सने भै लत्ता से नफरत करौ, जो सरीर के कलंकित हैं।