तुम मूर्ति पूजा करन बारे मत बनौ; जैसे कि उनमैं से कित्ते बन गै रहैं, जैसे कि सास्त्र कहथै, “आदमी खान-पीन कै एक दावत मैं बैठगै, जो पीन-पान और व्यभिचार को खुल्लो नाच बन गौ।”
बे सब लोगन के बारे मैं कहथैं, कि जब हम तुमसे मिले रहैं, तौ तुम कैसे मिले रहौ और तुम कैसे करकै मूर्तिन से दूर परमेस्वर के घाँईं चले गै, सच्चे और जिंदे परमेस्वर की सेवा करन के ताहीं
मैं जौ तुमकै, मेरे बालकौ लिखरौ हौं, ताकी तुम पाप नाय करौ; लेकिन अगर कोई पाप करथै, तौ हमरे झोने कोई है जो हमरो मदतेया है, जो हमरे घाँईं से दऊवा से प्रार्थना करथै। जौ आदमी ईसु मसीह है जो न्याई है।
आगी को धुआँ जो उनके सताथै, बौ हमेसा के ताहीं ऊपर उठ जाथै। जो बौ जानवर और बाकी मूर्ति की आराधना करथैं, और जो बाके नाओं की छाप लेथैं, उनकै दिन-रात चैन न मिलैगो।”
बाकी के बचे भै इंसान, जो बे सब महामारी से न मरे रहैं, बे अपने हात के कामन से न मन फिराईं। बे ना तौ प्रेत आत्मा की आराधना करनो छोड़ीं, और ना सोने, चाँदी, पीतल, पथरा, और कठिया की मूर्तियन की पूजा करनो छोड़ीं, जो ना तौ देख, ना सुन, ना चल सकथैं।