20 लेकिन अब अंग तौ निरे हैं, पर सरीर एकै है।
20 जहेमारे, भले शरीरके बहुत अंग हएं, तहुँफिर शरीर एकए हए।
बैसिये हमउँ निरे हैं, मसीह मैं एक सरीर हुईकै आपसै मैं एक सरीर के अलग-अलग अंग हैं।
जैसे सरीर एक है, और बाके अंग निरे हैं, पर अंग भौत होत भै भी बासे सरीर एकै बनथै, बैसिये मसीह है।
सरीर खाली एक हिस्सा से ना, बल्कि कई हिस्सन से बनो है।
तौ अगर सब अंग एकै होते तौ सरीर ना होती!
आँखी हात से नाय कह सकथै, कि मोकै तेरी जरूरत नाय है! “और फिर ऐसियै मूड़, टाँग से नाय कह सकथै, कि मोकै तेरी जरूरत नाय है!”