पक्को नही! अदि हरेक मानूस खोटो सेत ता का भयव, परमेस्वर तो खरो से। जसो गीरंथ मा लिख्यो से, “जबा तू सांगेत, तबा तु सही मनो जाहेत, अना जबा तोरो फैसला होयेत, तोरो जीत होयेत।”
काहेका आमी पुढ़ा बेअक्ल का रहत होता अना हुकूम ला नही मानत होता अना संका मा पड़या रव्हत होता। अना काई परकार को लोभ अना सुख सुविदा को चाकरी करत होता अना बइर, अना जरनाहि मा जिंदगी बितावत होता। अना आमी लक लोक घिरना करत होतीन अना आमी भी एकमेक लक घिरना करत होतो।