3 तरी तुमी वोना काम करतत जोन को बारेमा तुमी दुसरो को फैसला करतत। का तुमिला असो लगा सेत का परमेस्वर को फैसला तुमी ला बचा देहेत?
ओ सरप अना नाग को सन्तान, तुमी नरक को दन्ड लक कसो, बच सकासो?
का तोला मालुम नहात? का अबा मि पिराथना करहुँ अना सरगदूत गीन को बारा दल लक ज्यादा मोरो कठा आय जाहेत।”
यीसु ना कव्हयो कोन ना मोला तुम्हारो न्यायी ठहराई सेस।
जरा देर को मघा कोनी दूसरो ना पतरस ला चोवके कव्हयो, “तू भी वोमा लोक गीनको संगी मा लक एक आस! पतरस ना कव्हयो, नही भाऊ मी नही सेउ।”
पतरस ना कव्हयो “हुट भाऊ, मी नही जानासू, का तुम्ही काजक सागसो?” उ जसो बोल रहयो होतो। वसोच कुकड़ा ना चील्लायो, कोक रे कोक।
वय परमेस्वर को हुकूम ला, जानबुझ के, असो-असो काम करन लगीन। जेनको फर मरनो सेत, तोभी वय वसोच काम करासे, अना करनवारा लक खुस होवासे।
अगो मोरो संगीहुन! तुमी जोन गोस्टी मा दुसरो ला फैसला मा खोटो ठैयरावा सो, वोच काम तुमी करासेव, तुमी कोनी भी सेव तुमरो बहाना को कारन तुमिला कोनी सूट नाहती।
अमीला मालूम सेत का, परमेस्वर सही से। अना एनो गोस्टी को बिरोध मा फैसला देवासेत।
मानूस भला तू कोन आस? जोन परमेस्वर ला जवाब पलटा जोस? का कोनी रचना आपरो रचनवालो ला पूस सका सेत, “तूना मोला असो काहे बनायो सेत?”
जबा लोक कहेत “सान्ती अना सब साजरो से” तबा जसी पेट लक रव्हन वालो आई-माई पर एकदम लक दुख आवासे। वसोच उनको पर एकाएक नास आय जाहे अना वय बच नही सकनका।
सतरक रव्हो, का कोनी बोलनवारा को सबद नोको नकारो, जोनना धरती मा चेतायो होतो। उनको सबद ला नही आयकलो। वय नहि बच सकयो। ता सरग कन भेटयो चेतावनि लक कसो बच सकासेत?
“इतरो मोठ्या तारन लक अमी धियान नही दियो सेत ता अमी कसौ सूट जाबोन?” जबकि स्वता पिरभु ना पयले सूटकारा को मुनादी करयो होतो। अना जोन लोकगीन ना वोकी आयेकले, उनना यो सही सेत असो सिध्ध करयो।