मोसे को नियम को गुरू उभो-उभो असो, पिराथना करत होतो। “परमेस्वर मी तोला धनवाद देवासू, का मी दुसरो लोकगीन जसो, लोभी, अन्यायी, गलत काम करन वालो नहि सेव, अखीन यो जमा वसूली करन वालो, अन्धेर करन वालो जसो नही सेव।
यो नोको समजो का मि परमेस्वर दाअजी को पुढ़ा तुमी पर दोस लगाव सेउ। तुमी पर दोस लगावन वालो मोसे से, जोन पर तुमी ना आस राखयत। अदि तुमी मोसे पर सही मा बिस्वास करासेव
एकोलाय कोनी ला आपरो उपर घमंड करन को अधिकार नही रहयो, वोको तो कोनी जघा नाहती, कोनतो नियम को कारन लक, का मोसे को नियम को कारन लक, नही पर भरोसा को नियम को कारन लक,
वय परमेस्वर को लोख सेत। परमेस्वर ना उनला आपरो लेकरा बनायो। अना आपरो गौरव उनको समोर दिसायो। परमेस्वर ना उनको संग करार कियो अना उनला कानून दियो। उनको पूजा सच्चो सेत। उनला परमेस्वर को वादा भेटयो सेत।