यदि काही डगाली तोडके बेगरो कर दियो गयो सेत। अना तुमी गैरयहुदिगिन! जो बन जैतून सेव उनको जघा मा कलम लगायो गयो से अना जैतून को जड़ अना वोको चिकनाई को भागीदार बने।
पर अकेलो दुनिया को रचना च नही कुन्हावअ सेत। मंग परमेस्वर को भेटयो लका एक आतमा भी सेत। वा भी आपरो भितर ढुकअ सेत, काहेका अमी यो काजी परमेस्वर को रस्ता चोवा सेजन। का वो अमिला आपरो लेकरा बनाय के आमरो पुरो जिंदगी को सूटकारा कर देवे।
वय असो मानूस होतिन। जोनना कोनी बायको को संग सोय के अपवितर नही भयो होतिन। काहेका वय कुंवारो होतिन। यो वय होतिन जोन पाठी को मघा-मघा जावत होतिन। यो लोकगिन सारी मानूस जाति लक उनला दाम देयकर बन्धन ले छुड़ायो गयो लोक होतिन। वय परमेस्वर अना पाठी को लाय फसल के पयलो फर को रूपमा होतिन।