15 ऐना कारन लक वय परमेस्वर को राजगद्दी को पुढ़ा सेत, अना ओको मंदिर मा दिवस रात ओको सेवा करीसेत। अना जो राजगद्दी पर बसीसे। उ उनको बीच वरता आपरो सभा लगाहे।
मुरती को पूजा करनवारा को जित्तो परमेस्वर को मंदिर लक काजक लेवनो-देवनो सेत। “काहेका आमी जित्तो परमेस्वर को मंदिर सेजन। जसो परमेस्वर ना खुदच मी आपरो लोकगीन को संग आपरो घर बनाहिन अना उनको बीच मा रव्हिन। अना मी उनको परमेस्वर रव्हिन अना वय मोरो लोक कहलायेत।”
आमरो बिस्वास को नेता अना वोला पुरो लक उसे सिद्ध करन वालो यीसु पर नजर लगावो। जोनला आपरो समोर हाजिर आँनद को लाय कूरूस मा दुख झेलयो, वोको लाजको कोनी चिंता नहीं होतयो। अना परमेस्वर को सिंघासन को उजो हातमा बस गयो।
तब परमेस्वर को मंदिर जोन सरग मा से, उघाड़ दियो गयो। अना ओनो मंदिर मा उनको करार को संदूक दिसयो। ओना बेरा बिजली कौन्धी, गड़गड़ाहट अना बादल को गरजन हुयो। एक डरावनो भुईडोल आयो, अना मोठो-मोठो ओला पड़िन।
तबा सैतान ला, जेना उनको सँग छल करी होतीन, स्तो अना गन्धक को झील मा फेक दियो जाहेत, जहान ओना जनावर अना खोटो भविस्यवक्ता ला फेक गयो से। वहान उनला सदा को लाई तड़पत रहेत।
वहान अता लक रात होहेत नही। नाच ता उनला दियो को उजाड़ा को जरुरत होहे अना नाच सूरज को उजाड़ा, काहेका खुदच पिरभु परमेस्वर उनको उजाडो होहे। उ सदा राज करेहेती।
ऐना चारो जीवधारी मा लक हरेक को सह-सह पंख होतीन। उनको चारो कना, अना भीतर डोराच डोरा होतीन। दिवस अना राती बिना रुकयो यो गावत होतिन। “पवीतर पिरभु परमेस्वर सब लक ताकत वर से, जो होतो, अना जो से अना जोन आवनवालो से।”
एको बाद मिना चोवयो, अना दिसयो का हरेक कबिला, अना कुल अना लोकगीन अना भासा मा लक, एक असी लोक को गरदी, जेनला कोनी नही गीन सकत होतो। पाँढरो कपरा डाकयो, अना आपरो हात गीन मा खजुर की डारी गीन लियो हुयो, राजगद्दी को पुढ़ा अना मेढ़ा को पुढ़ा उभी दिसयो।