पतरस न जब असो चोयो ता लोकगीन लक कहयो, अगो इसरायल को लोकगिन, तुम ऐको पर कायलाय अचम्भीत सेव, अना असो घुर-घुर के आमीला कायलाई चोय रही सेव, असो लगासे का आमीना अपरो ताकत अना भक्ति को हिम्मत लक यो मानूस ला चलन-फिरन को लायक बनाय दियोसेजन।
काही भी होय, सरदीस मा तोरो जवर काही लोक असा सेत। जिनना आपरो कपरा अपवीतर नही करयो सेत। वय पाँढरो कपरा घालत हुयो, मोरो सँगा चलेत फिरेत। काहेकि वय यो काबिल सेत।
मंग एक बुजरुक ना मोला कव्हयो, “नोको रड़ो, चोवो! दाऊद को खानदान को महान यहूदा गोत को सेर ना जीत हासिल करिसेत। अना वाच सात सिक्का ला तोड़ सकासेत। अना पावती उघाड़ सकासेत।”
एको बाद मिना चोवयो, अना दिसयो का हरेक कबिला, अना कुल अना लोकगीन अना भासा मा लक, एक असी लोक को गरदी, जेनला कोनी नही गीन सकत होतो। पाँढरो कपरा डाकयो, अना आपरो हात गीन मा खजुर की डारी गीन लियो हुयो, राजगद्दी को पुढ़ा अना मेढ़ा को पुढ़ा उभी दिसयो।