ऐना चारो जीवधारी मा लक हरेक को सह-सह पंख होतीन। उनको चारो कना, अना भीतर डोराच डोरा होतीन। दिवस अना राती बिना रुकयो यो गावत होतिन। “पवीतर पिरभु परमेस्वर सब लक ताकत वर से, जो होतो, अना जो से अना जोन आवनवालो से।”
उन लक कव्हयो गयो, “का ना धरती को गवथ ला ना कोनी हरियाली ला न कोनी झाड़ ला हानि पहुचाव, बलकि ओनो मानूस गीन ला हानी पहुचाव जिनको मस्तक पर परमेस्वर को छाप नाहती।”