वय वोना घर मा गईन, अना उनना वोकी माय मरियम लेकरा को संग होति, उता माय अना लेकरा को दरसन करीन। अना टोंगरा टेकके, नमस्कार करन लगीन। अना आपरी-आपरी पेटी खोलके, ओमा लक मुदरो, लुभान अना गन्धरस को भेट चघाईन।
“हे पिरभू कोन तोरो लक नही भेव मानहेत? अना तोरो नाव को बड़ाई नही करेत? काहेकि तुच केवल एक पवीतर से, अना सबरो लोक गीन आयके तोरो पूजा नहि करहेत, काहेकी तोरो नियाव को काम दिसाय गयो सेत।”
जब वोना उ पावती ले लियो, ता उन च्यार जीव अना चौबीस बुजरुक ना पाठी ला पाय पड़के परनाम करीन। उनमा लक हरेक को जवर बिना होतो। अना वय सुगन्धित चीज लक भरयो सोन्नो को धूपदानी राखयो होतिन। जोन संतगिन को पिराथना होतो।