रास्ता को किनारो मा अँजीर को झाड़ चोयके उ ओको जवर गयो। तब पान ला छोड़ ओमा अखीन काही नही पायो अना झाड़ लक कहीस, “अता लक तोरो मा कबच फर नही लगहेत।” अना अँजीर को झाड़ तुरूत सूक गयो।
जेनको लक तुम्हि अपरो सरग को परमेस्वर बाबूजी की सन्तान कहलाने। कासेकी उ साजरो अना बुरो दुई, को लाय दिवस हेड़ासे। अखीन ईमानदार अना बैईमान, धरमी-अधरमी दुई पर बादर- पानी बरसासेस।
एने रीती उ कलीसिया ला एक असी नवती नौरी को उपमा मा खुदच को लाई पेस कर सकासे जोन बेडाग होय, बेझुर्रि होय असी अखिन कोनी कमी नही होय। बल्कि उ पवितर रव्हे अना हरदम बेकसूर होय।
बादर लक मानूस गीन पर मन-मन भर को मोठा गारगोटा पड़या, अना एकोलाय का यो आफद लगत च भारी भरकम होती। लोक इन ना गारगोटा को आफद को कारन परमेस्वर को निन्दा करीन।