4 परमेस्वर उनको डोरा लक हरेक आँसू पोछ देहे। अता लक मिरतू पायो न जाहे। अता ना कलपनो, ना रोवनो अना नाच कोनी दरद रहेत। काहेकि जो पहली गोस्टी होतीन, अता वय नही रहीन।
यो सबद “पुन्हा एक बेर” तइयार करयो हरेक गोस्टी को बारे मा इसारा मिलासेत। का जोन चीज डोलायो जाहेत मजे वोको नास होहेत, अना जोन नही डोलहेत मन्जे हरामेसा लक रव्हेत।
परंतु परमेस्वर को दिवस चोर जसो आवन वालो सेत। वोना दिवसी बादल मा मोठ्या गरजन होहेत अना नास भयी जाहेत। अना सब चीज पिघल जाहेत अना धरती अना वोका वरी काम को नियाव होयेत।