हे कफरनहुम नगर! का तू सरग लक, वरता करयो जाहेत? नही तु तो पताल लक जादा धस जाहेत। काहेका, जोन ताकत को काम तोरो, अँदर मा कियो गयो से। वोच काम सदोम नगर मा करयो, जातो ता उ आज तकन बनयो रव्हतो।
मि ओको महामारी लक वोको लेकरा गिनला मारुँह अना सप्पा कलीसिया ला मालूम भय जाहे का मन ला अखीन आतमा ला जाँचन वालो मि च सेव। अना मि तुमी मा लक हरेक ला ओको कामगीन को अनुसार फर देहबिन।
परमेस्वर उनको डोरा लक हरेक आँसू पोछ देहे। अता लक मिरतू पायो न जाहे। अता ना कलपनो, ना रोवनो अना नाच कोनी दरद रहेत। काहेकि जो पहली गोस्टी होतीन, अता वय नही रहीन।
मिना नजर भरके चोवुसू एक पीवरो रँग को घोड़ा से अना ओको सवार को नाव मिरतू से। अना नरक ओको मंघा मंघा से, अना ओको यो हक से, धरती की एक पाव हिस्सा मा तरवार अना गिरानी, अना महामारी, अना धरती को जनावर गीन लोकईन ला मार डाकेत।