मंग एको मंघा एक अखिन दुसरो सरगदूत आयो, अना कव्हन लगयो, “वोको सत्यानास भयी गयो सेत। मोठो नगर बेबीलोन को सत्यानास भयी गयो। वोना सब देस ला खोटो काम को नसा करायो होतो।”
उनना आपरो-आपरो डोस्का पर धुल डाकिन अना चिल्लात रोवत अना कलपत होयो सांगीन, “हाय-हाय मोठो नगर जो की सम्पती लक सबच नाव वारा धनी होय गयो होतीन, अता घन्टा भर मा उ उजड़ गयो।”
ना च दियो को उजाड़ा मंग कबच तोरो मा चमकेत। अना नाच नौरा नौरीको बोली तोरो मा आयकुआयेत। तोरो धन्धाकरनवारा धरती को मोठो आदमी होतीन। अना तोरो जादू लक सबच लोक गीन भरमाया गयो होतीन।
वा जेतरी आपरो बड़ाई करके जितरो सुक भोगिसेत, तुमी भी ओला ओतरो च परेसानी अना कस्ट देव। काहेकि उ मन च मन कव्ह से, “मि ता रानी जसो सेव। मि बेवा नहीं सेव, मोरो कबच आंसु नही बहेत।”