23 ना च दियो को उजाड़ा मंग कबच तोरो मा चमकेत। अना नाच नौरा नौरीको बोली तोरो मा आयकुआयेत। तोरो धन्धाकरनवारा धरती को मोठो आदमी होतीन। अना तोरो जादू लक सबच लोक गीन भरमाया गयो होतीन।
अना तोरो मा वीना बजानवारा, संगीतवारा, बंसरी को धुन अना तुर्रा फुकन वारा, को आवाज मंग कबच नहि आयकु आय। नाच कोनी कला को सिल्पकार तोरो मा मंग कभी पायो जाहेत। नाच तोरो मा कोनी चकिया को आवाज कबच आयकुआयत।
वहान अता लक रात होहेत नही। नाच ता उनला दियो को उजाड़ा को जरुरत होहे अना नाच सूरज को उजाड़ा, काहेका खुदच पिरभु परमेस्वर उनको उजाडो होहे। उ सदा राज करेहेती।
तब धरती को राजा, अधिकारी, अना मुखिया अना सेना को सेनापती, अना का धनी, अना ताकतवर लोक, अना हर कोनी दास, अना हरेक मालिक पहाड़गीन को सुरँग मा अना चट्टानगीन को चेर मा जायकर लुक गयिन।