अना सीकान को लाय उनलक कहीस, “का पवीतर गिरंथ मा नही लिखियो से? की मोरो घर सब देस को लोकगीन को लाय पिराथना करन को घर कहलाहे पर तुमी ना एला डाकूगीन को अड्डा बनाय डाकिसेव।”
उनना आपरो-आपरो डोस्का पर धुल डाकिन अना चिल्लात रोवत अना कलपत होयो सांगीन, “हाय-हाय मोठो नगर जो की सम्पती लक सबच नाव वारा धनी होय गयो होतीन, अता घन्टा भर मा उ उजड़ गयो।”