उतरो च बेरा मोठयो भुयीडोल आयो, अना नगर को दसवा हिस्सा पड़ गयो। अना 7,000 लोकगीन मर गयीन। अना जोन लोक बचयो होतिन वय डराय गयीन। अना सरग को परमेस्वर को महीमा करन लगीन।
अना ओना मोठो आवाज लक साँगीस, “परमेस्वर लक भेव करो, अना वोको च महिमा करो। काहेका वोको नियाव को बेरा भयी गयो सेत। ओको च पूजा करो जोनना, सरग धरती सागर अना पानी को झरना बनायो सेत।”
बादर लक मानूस गीन पर मन-मन भर को मोठा गारगोटा पड़या, अना एकोलाय का यो आफद लगत च भारी भरकम होती। लोक इन ना गारगोटा को आफद को कारन परमेस्वर को निन्दा करीन।
एको मा बाकी असो लोक जोन यो मोठयो नास लक नही मरयो होतिन। उनना आपरो हात को काम लक अबा मन नही मुरकायो होतिन। अना भूत-पलित को अना सोन्नो खुरो, कासो, गोटा अना काड़ी को वोना मुरती को अराधना नहीं सोड़यो। जोनना चोव सका सेत। न आयक सका सेत। न च रेग सका सेत।