4 “हे पिरभू कोन तोरो लक नही भेव मानहेत? अना तोरो नाव को बड़ाई नही करेत? काहेकि तुच केवल एक पवीतर से, अना सबरो लोक गीन आयके तोरो पूजा नहि करहेत, काहेकी तोरो नियाव को काम दिसाय गयो सेत।”
अना एकोलाय भी का गैरयहूदी गिनला परमेस्वर को दया भेटे, अना वय स्तुती करे। जसो गिरंथ मा लिख्यो सेत, “एकोलाय गैर यहूदि गिनको बीचमा तोला ओरखा हिन अना तोरो नाव को महिमा गावइन।”
“सातवो सरगदूत ना जबा आपरो तुर्रा फूँकीस तो बादल मा लगत आवाज होवन लगयो।” वय कव्हत होतिन, “अबा जगत को राज आमरो पिरभू को सेत। अना वोको मसिहा को। अबा वा साजरो सासन लक हरामेसा राज करहेत।”
अना ओना मोठो आवाज लक साँगीस, “परमेस्वर लक भेव करो, अना वोको च महिमा करो। काहेका वोको नियाव को बेरा भयी गयो सेत। ओको च पूजा करो जोनना, सरग धरती सागर अना पानी को झरना बनायो सेत।”
ऐना चारो जीवधारी मा लक हरेक को सह-सह पंख होतीन। उनको चारो कना, अना भीतर डोराच डोरा होतीन। दिवस अना राती बिना रुकयो यो गावत होतिन। “पवीतर पिरभु परमेस्वर सब लक ताकत वर से, जो होतो, अना जो से अना जोन आवनवालो से।”