तबा सात सरगदूत जोन सात बटका धरयो होतिन, उनमा लक एक ना कह्यो, “आव, अना एक महा बेसिया को सजा चोव।” वो बेसिया वा महानगर सेत, जोन नद्दीगिन को कगर मा बसो सेत।
देस-देस को खोटो मानूस गिनला मारन को लाय वोको टोन्ड लक एक तेज धार वालो तरवार हिटा सेत। अना लोहा को छड़ी लियो हुयो उ उनको पर राज करहेत। अना उ सबलक बलवान परमेस्वर को लगत तेज गुस्सा अना हिजड़नो को घानी मा अंगूर को रस निचोहेत।
तबा जिन सात सरगदूत गीन को कठा सात आखरी मुसीबत लक भरयो सात बटका होतीन। उनमा लक एक ना मोरो कठा आयके मोला सांगीस, “आव, मि तुमला नौरी मेढ़ा को नौरी दिसाऊ।”
मंग मिना चोवयो का एक गरूड़ बादल को बीच वरता मा उड़ा से। मिना वोला जोर लक हाकलत आयकू, “उन बाकी का तीन सरगदूत जो बाकी सेत, उनको तुर्रा फुकन को कारन धरती का सब रव्हन वारा पर फजीता, फजीता, फजीता।”
एको मा बाकी असो लोक जोन यो मोठयो नास लक नही मरयो होतिन। उनना आपरो हात को काम लक अबा मन नही मुरकायो होतिन। अना भूत-पलित को अना सोन्नो खुरो, कासो, गोटा अना काड़ी को वोना मुरती को अराधना नहीं सोड़यो। जोनना चोव सका सेत। न आयक सका सेत। न च रेग सका सेत।