मसीह हात को बनयो हुया वोना पवीतर जघा मा नही धसयो। जोन सही को पवीतर जघा को सावली सेत। वोना सिद्दो सरग मा च धसयो। जोन लक मसीह अबा आमरो कन लक सरग मा परमेस्वर को कठा हाजिर हो सके।
एकोलाय सप्पा सरग अना ओको रव्हन वारा, खुस होयेत! हाय से तुमी पर धरती अना समुंदर! काहेकि सैतान तुमी तकन पहुँच गयो। उ लगत गुस्सा मा भर गयो से, काहेकि ओला मालूम से का ओको बेरा लगत ही कम से।
तबा मिना सिघासन लक एक उचो सबद मा यो कव्हतो आयकियो, “चोवो! मानूसगिन को बीच मा परमेस्वर को रव्हनो!” अब परमेस्वर उनको बीच रव्हे। वय उनको जनता होहेत अना खुदच परमेस्वर उनको बीच अमर निवास करहेत।
मंग मि ना आयकयो, सरग मा अना धरती अना धरती को खाल्या अना समुंदर की बनयो हुयी चीज को, अना सबच काही जो उनमा से, जो राजगद्दी पर बसयो सेत ओको अना पाठी को धनवाद मान अना बड़ाई अना राजपाठ सदा रव्हे।
एको बाद मिना चोवयो, अना दिसयो का हरेक कबिला, अना कुल अना लोकगीन अना भासा मा लक, एक असी लोक को गरदी, जेनला कोनी नही गीन सकत होतो। पाँढरो कपरा डाकयो, अना आपरो हात गीन मा खजुर की डारी गीन लियो हुयो, राजगद्दी को पुढ़ा अना मेढ़ा को पुढ़ा उभी दिसयो।