13 उतरो च बेरा मोठयो भुयीडोल आयो, अना नगर को दसवा हिस्सा पड़ गयो। अना 7,000 लोकगीन मर गयीन। अना जोन लोक बचयो होतिन वय डराय गयीन। अना सरग को परमेस्वर को महीमा करन लगीन।
तब परमेस्वर को मंदिर जोन सरग मा से, उघाड़ दियो गयो। अना ओनो मंदिर मा उनको करार को संदूक दिसयो। ओना बेरा बिजली कौन्धी, गड़गड़ाहट अना बादल को गरजन हुयो। एक डरावनो भुईडोल आयो, अना मोठो-मोठो ओला पड़िन।
अना ओना मोठो आवाज लक साँगीस, “परमेस्वर लक भेव करो, अना वोको च महिमा करो। काहेका वोको नियाव को बेरा भयी गयो सेत। ओको च पूजा करो जोनना, सरग धरती सागर अना पानी को झरना बनायो सेत।”
“हे पिरभू कोन तोरो लक नही भेव मानहेत? अना तोरो नाव को बड़ाई नही करेत? काहेकि तुच केवल एक पवीतर से, अना सबरो लोक गीन आयके तोरो पूजा नहि करहेत, काहेकी तोरो नियाव को काम दिसाय गयो सेत।”
काही भी होय, सरदीस मा तोरो जवर काही लोक असा सेत। जिनना आपरो कपरा अपवीतर नही करयो सेत। वय पाँढरो कपरा घालत हुयो, मोरो सँगा चलेत फिरेत। काहेकि वय यो काबिल सेत।