एकोलाय का “वय डोरा लक चोवयेत पर, उनला सुझाई नही पड़हेत, अना वय आयकेत, पर समझ मा नही आहेत, कही असो ना भई जात का वय परमेस्वर को कन मुड़ जाहेत, अना परमेस्वर उनला छिमा कर देहेत।”
मोठो परमेस्वर ना उनको डोरा ला अँधरा कर देइस अना उनको अक्कल ला सटया देइस। परमेस्वर ना कव्हयो, कहीं असो न होहे की वय डोरा ला चोयेत, अना अक्कल लक समजेत। अना मोरो मंघा भय जाहेत। अना मि उन ला साजरो कर देहुँ।