यो दिवस को बूरो अना परमेस्वर ला नही माननवारा लोक मोला एक चिन्हानी मांगासेत मंग योना को चिन्हानी ला सोड़ उनला अना कोनी चिन्हानी नही दियो जाहे। ऐतरो सांगके उ उनला छोडके चली गयो।
यीसु ना फरिसी को कड़ो मन ला चोयके उदास भय गयो, अना हिजड़ के चारो कन चोयीस अखीन ओनो मानूस ला कहीस “आपरो हात बढाव।” ओना बढाईस, अखीन ओको हात साजरो भई गयो।