5 उ रोज-रोज मरघट्टी अना पहाड़ मा बेमियात होतो। अना आपरो आप ला गोटा लक घायल करत होतो।
काहे की उ लगत गन साकल लक बाँधयो गयो होतो पर ओना उन साँकल ला भी तोड़ दियो होतो। अना बेडी ला भी टुकड़ा-टुकड़ा कर डाकिस, अना कोनी ओला बस नही कर पाइन काहेका उ लगत बलवान होतो।
उ यीसु ला दुहुर च लक चोवके धायो। अना वोनो होयके डोस्का टेकिस।
तुमी आपरो अजी सैतान कन लक सेव, अना आपरो अजी को लालसा ला पूरी करनो चाव्हासेव। उ ता सुरू लक खूनी से, खराई लाय सच्चो नही रव्हे। काहे की सच ओमा नहाती, जबा उ झुठो सांगासे ता आपरो आचरन च लक सांगासे, काहे की उ झुठो से, अना झुठो को अजी से।