31 ओको चेला ना ओला कहिन “तु चोवसेस की भीड़ तोरो पर गिर पड़ से, अना तु कव्हसेस; की कोन ना मोला छुईसेस?”
तबा उ सँग गयो अना मोठी भीड़ ओको मंघा भई गई यहान तकन की लोकगीन ओको पर गिरत पड़त होती।
यीसु ना गदने आपरो मा जान गयो, की मोरो लक ताकत हिटी से, अना भीड़ ला मुरकके पुसिस, “कोन से जेने मोरो कपरा को पल्लु ला छुवीस?”
तबा ओना ओला चोवन लाई चवतरफा नजर दौड़ाइस।
तबा यीसु ना कव्हयो, “मोला कोन छिवी से?” सबको मना करन को मघा, पतरस ना कव्हयो, “गुरूजी, तुम्ही भीड़ लक घिरोसव, अखीन भीड़ तोरो पर पड़ासे।”
जबा दिवस बुड़ता बेरा भयो, तबा 12 पेरीतगीन ना, आयके वोको लक कहिन, भीड़ ला सार कर दे, वय चारो कन का गांव, अना बस्ती मा जाय के, रव्हन को इन्तेजाम करयेत, काहे की हमि, एक सुनसान जघा मा, सेजन।