54 पतरस दुहुर लक चोवके मंघा-मंघा मुखिया याजक को आँगन तकन गयो, अना सिपाही गीनको सँग बसके स्तो तापन लगयो।
तबा मुखिया याजक अना सयानो लोकगीन काइफा नाव को मोठो मुखिया याजक, को आँगन मा जमा भईन।
पतरस दुहुर लक वोको, मंघा-मंघा मोठो मुखिया याजक को आँगन तकन गयो। अना भीतर जायके, का होवासे देखन लाई सिपाही गीन, को सँग बस गयो।
जागतो अना पिराथना करता रव्हो, की तुमी परिक्सा मा नोको पड़हो, काहेका आतमा ता तैय्यार से पर आँग कमजोर से।”
जबा पतरस आँगन मा उभो होतो, तो मुखिया याजक की एक दासी वहान आयी।
यीसु संकट लक दूखी भय गयो अखीन गजब दूखी मन लक परमेस्वर लक पिराथना करन लग्यो। अखीन वोको पसी रकत को बुन्द जसो, थेम-थेम जघा मा टपकन लगीन।
मंग वोला धरकेना, मुखिया याजक को घर मा पहूचा देइन। पतरस काही दूरी बनाय के, ना यीसु को मघा-मघा जावन लग्यो।
दास अना सिपाही थन्डी को मारे अँगेठा पैटाय के स्तो तापत होतीन अना पतरस भी उनको सँग होतो।
समौन पतरस उभो होयके स्तो ताप रहयो होतो। तबा उनना ओला कहीन, कहीं तु भी ओको चेला तो नहात?